शराब और इस्लाम

शराब और इस्लाम

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

इस्लाम में कम मात्रा में भी शराब पीना प्रतिबंधित है। पवित्र कुरान के कई छंदों में इसका उल्लेख है। शराब मानव के मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक रूप से हानिकारक है। शराब पीने से ना केवल आपके मस्तिष्क की चेतना प्रभावित होगी जिससे सही और गलत चीजों के बीच का अंतर मिट जाएगा। लेकिन इससे कई बीमारियां भी हो सकती हैं जो शरीर के कई अंगों के सामान्य कामकाज को प्रभावित करती हैं। "ऐ ईमान लानेवालो! नशे की दशा में नमाज़ में व्यस्त न हो, जब तक कि तुम यह न जानने लगो कि तुम क्या कह रहे हो।" (क़ुरान ४:४३) " ऐ ईमान लानेवालो! ये शराब और जुआ और देवस्थान और पाँसे तो गन्दे शैतानी काम हैं। अतः तुम इनसे अलग रहो, ताकि तुम सफल हो।" (क़ुरान ५:९०) हदीस में यह भी उल्लेख किया गया है, अब्द अल्लाह इब्न उमर (रदिअल्लहु अन्हो) द्वारा सुनाई गई है कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा: "जो कोई भी इस दुनिया में शराब पीता है और उससे पश्चाताप नहीं करता है, वह आख़िरत से वंचित होगा।" (अल-बुखारी 5147, मुस्लिम 3736) एक शराबी व्यक्ति खुद पर नियंत्रण खो देता है जो अंततः आक्रामक व्यवहार और अपमानजनक भाषा का परिणाम देगा जो इस्लाम में सख्त वर्जित है। इस व्यवहार के अलावा दीर्घकालिक परिवर्तन से एसोफैगल कैंसर, जिगर का सिरोसिस, सीने में संक्रमण और कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं जो जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

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